Harriet tortoise के बारे में रोचक तथ्य

डार्विन के विकास क्रम के सिद्धांत के अनुसार डार्विन ने कहा कि जैसे जैसे जगह बदलती है । वैसे वैसे जानवर अपने आप को ढाल लेते हैं तथा उसके हिसाब से ही उनका विकास हुआ है । इनका आपस में कोई लेना देना नहीं होता है । प्लैटिपस तथा मैमेल दोनों अलग अलग तरीके के जानवर है ।
लेकिन जब यह इंवॉल्व हुए तब इन्होंने अपने रहने की जगह के अनुसार अपने आप को बदल लिया ।
डार्विन जब 19वीं सदी में ऑस्ट्रेलिया पहुंचे तब पश्चिम में रहने वाले जानवरों पर अध्ययन किया ।
Harriet tortoise दुनिया के तीसरे नंबर पर सबसे ज्यादा दिनों तक जिंदा रहने वाले कछुआ में से एक है एक प्रकार का कछुआ है जोकि गिनीज बुक मैं रिकॉर्ड है । इसकी कुल आयु 175 वर्ष थी ।
डार्विन जब ऑस्ट्रेलिया गए तब अपने साथ कछुए को ले गए थे । क्योंकि वहां का वातावरण गर्म था जो कि इस तरह के जानवर के लिए अनुकूल था ।
Harriet tortoise हमारे अतीत तथा चार्ल्स डार्विन के बीच की कड़ी है । यह कछुआ डार्विन को गलापैक्स आयरलैंड से मिला था । वह इस कछुए को तथा इसके साथ दो और कछुए को इंग्लैंड ले गए । उसके बाद में वहां का मौसम खराब होने की वजह से वह उसे Australia ले गए ।
Harriet tortoise वह अंतिम जीव है जिसने चार्ल्स डार्विन के अंतिम दर्शन किए थे । जिसकी मदद से चार्ल्स डार्विन ने थ्योरी ऑफ एवोलूशन को समझा ।