
रणथंभौर किले का इतिहास और घूमने की जानकारी- Ranthambore Fort History In Hindi
रणथंबोर का किला
आइए दोस्तों आज हम आपको आपको बताने जा रहे हैं कि भारत के प्रसिद्ध खेलों में से एक किला है रणथंबोर का किला वैसे तो भारत के पूर्व से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक स्थित ऐसे कई कई सारे किले हैं जिनके बारे में आपने सुना ही होगा भारत अगर सबसे ज्यादा किसी चीज के लिए प्रसिद्ध है तो वह है इसके किले स्मारक के लिए प्रसिद्ध है ।
रणथंबोर किला यह किला दिल्ली मुंबई रेल मार्ग के सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन से 13 किलोमीटर दूर रन और थम नाम की पहाड़ियों के बीच समुद्र तल में 481 मीटर ऊंचाई से पर है राजस्थान के सवाई माधोपुर माधोपुर जिले में स्थित है। और इस किले के चारों ओर ओर बहुत ही गहरी खाई है। जो इस किले को को किले को को मजबूती प्रदान किए हुए हैं। और इससे किले की सुरक्षा भी अच्छे से रहती है।
किले से संबंधित प्रमुख कहीं सारी ऐसी ऐतिहासिक सारी ऐसी ऐतिहासिक स्थान है जैसे नौलखा दरवाजा हाथी पोल गणेश पोल सूरज पोल यह प्रमुख द्वार है। और इसमें से एक त्रिपोलिया जो कि कि अंधेरी दरवाजा है यह दरवाजा अंधेरे में है। इस दरवाजे के बारे में ज्यादातर लोगों को नहीं पता है इस दरवाजे के बारे में कुछ कर्मचारियों को ही पता है।
राजा को यह एक खुफिया दरवाजा है ।और साथ-साथ इसके पास से एक सुरंग भी होकर गुजरती है जो महल तक आती है और हमें इस किले के तक पहुंचने के लिए कई उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है इसके रास्ते बहुत संकरे होते हैं।
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अब हम आपको रणथंबोर के किले के निर्माण काल की बातें बताएंगे यह बहुत ही रोचक तथ्य है।
इस किले का निर्माण कब हुआ वह तो नहीं कहा जा सकता। क्योंकि इस किले के बारे में जिन लोगों को पता था वह अब नहीं रहे इसलिए जब भी इतिहास की बातें उठाई जाती है तो हम उन्हें अनुमान से ही बताते हैं। लेकिन ज्यादातर इतिहासकारों का कहना है। इस किले का निर्माण चौहान राजा रणथंबन देव द्वारा सन 1944 ईस्वी में कराया जाना मानते हैं। क्योंकि इस किले का ज्यादातर निर्माण चौहान निर्माण चौहान का ज्यादातर निर्माण चौहान निर्माण चौहान राजाओं के शासनकाल में ही हुआ था।
क्योंकि उस समय ज्यादातर चौहान वंश का शासनकाल चलता था।दिल्ली के सम्राट पृथ्वीराज चौहान के समय में यह किला मौजूद था उस समय इस किले किले पर चौहान वंश का नियंत्रण था।
चौहान वंश के राजा ही इस पर शासन काल माना जाता है। करीब एक शताब्दी तक यह किला चित्तौड़ के महाराणा के अधिकार में ही रहा इस किले कई सारे राजाओं को शरण दी कहीं सारे राजाओं को घायल को घायल होने पर इस किले में उपचार के लिए लाया गया इसमें से एक राणा सांगा भी थे। उनका भी इलाज इसी ही किले में किया गया।
रणथंबोर किले पर आक्रमण
किले पर बहुत सारे आक्रमण हुए थे।और इसकी बहुत लंबी दास्तान है इसकी शुरुआत में ही दिल्ली के कुतुबुद्दीन ऐबक हुई थी और यह मुगल बादशाह अकबर तक चलती रहे रहे मोहम्मद गोरी सन 1569 में इस किले इस किले किले पर दिल्ली के बादशाह अकबर ने आक्रमण कर आमेर के राजाओं के माध्यम से तत्कालीन सांसद राज शुरू जान हाडा से संधि कर ली और सातवीं शताब्दी में यह जयपुर का हिस्सा बन गया।
ऐसे कहीं सारे राजाओं ने ने रणथंबोर के किले पर आक्रमण किया और वहां पर अपना शासन काल जमाया इस किले का जीर्णोद्धार का जीर्णोद्धार जयपुर के राजा पृथ्वी सिंह और सवाई जयसिंह ने कराया कुछ साल बाद जब आजादी का दिन आया तब यह किला सरकार के अधीन में हो गया।
इसे सरकार ने अपने वश में कर लिया में कर लिया और इस किले को को विश्व विरासत स्थल की सूची में लिया गया और फिर यहां लोग बाहर से घूमने के लिए आने लगे और इसे एक पर्यटक के रूप में देखने लगे आज भी बहुत दूर से लोग इस किले को देखने आते हैं।
यह किला आज भी उतना ही सुंदर है और यहां की चीजें आज भी उतनी ही व्यवस्थित है जितनी पहले थी यहां का अंदर का वातावरण आज भी उतना ही अच्छा है कितना राजाओं के शासनकाल में था में था और जब यह सरकार के अधीन हो गया तो इसे पर्यटक घोषित कर दिया गया आज भी करोड़ों की संख्या में लोग यहां घूमने आते हैं।